भोपाल - माध्यमिक शिक्षा मंडल ने दसवीं के विद्यार्थयों के लिए बेस्ट ऑफ फाइव योजना दो साल पहले शुरू की थी। इस योजना से पहले साल तो दसवीं के रिजल्ट में सुधार हुआ, लेकिन दूसरे साल रिजल्ट का प्रतिशत कम रहा। वहीं विद्यार्थी भी सिर्फ पांच विषयों की तैयारी ठीक से कर रहे हैं। इस योजना के तहत दसवीं में छह विषयों में से पांच विषय में पास होना जरूरी है। हर साल करीब 1 लाख विद्यार्थियों को इस योजना का लाभ मिलता है, जबकि हर साल करीब साढ़े 8 से 9 लाख विद्यार्थी दसवीं की परीक्षा में शामिल होते हैं। स्कूल शिक्षा विभाग ने समीक्षा कर यह पाया कि इस योजना से विद्यार्थियों की रुचि गणित व अंग्रेजी में कम हुई है, इसलिए इसे बंद करने की तैयारी चल रही है। इस संबंध में एक प्रस्ताव तैयार कर स्कूल शिक्षा विभाग ने शासन को भेजा है।
क्या है बेस्ट ऑफ फाइव योजना
इस योजना के तहत छह विषयों में से विद्यार्थी को पांच विषय में पास होना जरूरी है। अगर एक विषय में फेल भी होता है तो पांच विषय की गणना के बाद रिजल्ट तैयार कर पास किया जाता है।
बेस्ट ऑफ फाइव से रिजल्ट में अंतर
बेस्ट ऑफ फाइव योजना 2017-18 में लागू होने के बाद 10वीं का रिजल्ट 66 प्रतिशत आया था। 2018-19 में 61.32 प्रतिशत रहा। इन दोनों वर्षों में विद्यार्थी गणित या अंग्रेजी में फेल हुए हैं। हर साल करीब 1 लाख विद्यार्थी बेस्ट ऑफ फाइव के तहत पास हुए हैं।
इस योजना के संबंध में मसौदा तैयार कर शासन को भेजा गया है। अभी उस पर निर्णय नहीं हुआ है।
जयश्री कियावत, आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय
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