मध्य प्रदेश के देवास जिले का नाम भ्रष्टाचार की लिस्ट में पहले नंबर पर लिखा जाएगा क्योंकि केंद्र तथा राज्य सरकारों की गरीबों के नाम से आई योजनाओं का जिले के अधिकारियों से लेकर कर्मचारी और जनप्रतिनिधियों ने खुलकर भ्रष्टाचार किया|
देवास - चाहै शौचालय निर्माण हो, प्रधानमंत्री आवास योजना या फिर कूप योजना हो सभी में जी भर कर भ्रष्टाचार किया| अपात्र लोगों को भी इस योजना में भरपूर लाभ देने से नहीं चूके कई ऐसे लोग हैं जिनके पास लाखों करोड़ों की दौलत है लेकिन उनको भी इन योजनाओं का लाभ दिया गया| देवास जिले में ऐसे अनेक सप्रमाण उदाहरण देखने को मिलेंगे| इतना ही नहीं प्रधानमंत्री आवास योजना में संबंधित कर्मचारियों ने गरीबों से योजना में लाभ की स्वीकृति के नाम पर 5000 से ₹15000 तक बटोरे हैं| इन रूपों में नगर पंचायत के पार्षदों से लेकर कर्मचारियों ने भ्रष्टाचारी किए है। इसी प्रकार शासन की कूप योजनाओं में मौके पर कुआं है ही नहीं और उसका पूरा रुपया शासन से ले लिया । अगर हम ग्रामीण अंचलों की बात करें तो समूचे देवास जिले में सरपंचों ने विशेषकर उन सरपंचों ने जो राजनेताओं के आगे पीछे घूमते हैं उन्होंने ग्रामीण योजनाओं काम मिलने वाला पूरा लाभ लिया है चाहे वह ग्रामीण अंचल में शौचालय निर्माण की हो या कुटी योजना हो सभी में कमीशन के तौर पर प्रकरणों की स्वीकृति की गई है। इन योजनाओं के माध्यम से विभिन्न जनप्रतिनिधियों का पेट नहीं भर आया तो इन्होंने पंचायतों को शासन ने ग्राम विकास के नाम पर जो भारी-भरकम राशि आती थी उन्हें भी टांका लगाने से नहीं चूके सरपंचों ने फर्जी बिलों के माध्यम से ऑनलाइन बिल भेज कर स्वीकृत करवाएं और दुकानदार को कुछ प्रतिशत कमीशन देखकर सारी राशि चट कर गए। मजेदार बातें तो यह है उदाहरण के लिए एक छोटे से किराने की दुकान वाले से सरिये सीमेंट के बिल ले लिए जबकि उसका यह व्यवसाय ही नहीं है। लेकिन पंचायत में कौन जाकर देखें कि किसने कितना माल पंचायत को दिया है।
इसका पूरा लाभ संबंधित पंचायत के सरपंच और सचिवों ने लाभ उठाया है। अगर कहीं पर किसी सरपंच या सचिव की पोल खुली तो वहां पर मधुमक्खी की तरह पत्रकारों का झुंड झूम गया और उन्होंने भी रूपए लूटने से परहेज नहीं किया। जब व्यक्ति के नीचे रेला होता है वही व्यक्ति जांच के डर से पत्रकारों को पैसे बांटते हैं। इससे सरकार की ग्रामीणों के लिए गरीबों के लिए क्षेत्र के लिए जो योजनाएं आती है और उनमें जो भ्रष्टाचार होता है वह दफ्तर में ही रह जाता है अगर सरकार निष्पक्ष होकर सरकारी खजाने से वर्ष 2019 से 2020 तक सभी सरकारी योजनाओं के द्वारा लाभ प्राप्त व्यक्तियों की जांच करें तो निश्चित रूप से एक बहुत बड़ा फिगर चौंकाने वाला सामने आएगा। जिसमें यह सिर्फ जनप्रतिनिधि ही नहीं बरन उस विभाग के कर्मचारी भी सामने आ जाएंगे। उदाहरण में हमारे प्रतिनिधि ने 1 ग्राम पंचायत के सामुदायिक भवन को लेकर कन्नौद के सीईओ से जवाब सवाल किए तो उन्होंने यह उत्तर दिया कि आजकल जनपद पंचायत के पास कुछ भी नहीं आता है सीधा राज्य सरकार से संबंधित ग्राम पंचायतों को ही जाता है किसी भी योजना का निर्माण हुआ या नहीं हुआ इसका सत्यापन भी स्वयं ग्राम पंचायत ही करती है जिस पंचायत की आप बात कर रहे हैं उस पंचायत के सामुदायिक भवन आज तक नहीं बनाए। जब यह पत्रकारों ने मीडिया के माध्यम से बात उठाई थी तो संबंधित पंचायत के सरपंच ने एक निजी मकान को सामुदायिक भवन बता दिया। जिसको तत्कालिक जिला कलेक्टर ने सामुदायिक भवन मानने से इनकार कर दिया था। उसे वर्तमान में एक जनप्रतिनिधि के दबाव में आकर जिला कलेक्टर ने सरकारी घोषित कर दिया है। यह एक उदाहरण नहीं इस तरह से अनेक उदाहरण जिले में मौजूद है जो नियमों को ताक पर रखकर किए गए। कुल मिलाकर देखा जाए तो प्रदेश में जनप्रतिनिधियों का शासन चल रहा है जिन के दबाव में अनैतिक काम भी नैतिक बन जा रहे हैं अगर इनकी जांच होती है तो प्रदेश का सबसे बड़ा भ्रष्टाचारी जिला देवास जिला होगा जिसमें जी भर कर ऊपर से लेकर नीचे तक जितना हाथ में आया उतना लोगों ने लूटा है जिसकी जांच उचित स्तर से की जाना चाहिए।
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