प्रदेश में तमाम स्तर पर गड़बड़ी हो रही हैं. गरीबों को मुर्गियों का चावल बांटा गया. यूरिया की कालाबाज़ारी, फसल बीमा के पोर्टल में गांवों की जानकारी नहीं
भोपाल - मध्य प्रदेश में प्रशासनिक अफसरों की मनमानी और उनकी कार्यशैली के कारण हो रही गड़बड़ियों के खुलासे से अब प्रदेश सरकार मुश्किल में है. केंद्रीय एजेंसियां प्रदेश में हो रही गड़बड़ी पर लगातार एक के बाद एक पत्र के जरिए सरकार को अलर्ट कर रही हैं. उप चुनाव सिर पर हैं ऐसे में विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में है.
पहले मुर्गियों का चावल
मध्य प्रदेश में बीते दिनों केंद्र सरकार ने बालाघाट-मंडला में हुए चावल घोटाले पर प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर जांच के निर्देश दिए थे. केंद्रीय एजेंसी ने माना था कि प्रदेश में बालाघाट और मंडला में पोल्ट्री ग्रेड का चावल गरीबों को बांटा गया है. इसके बाद राज्य सरकार ने हरकत में आते हुए तत्काल पूरे मामले में एक्शन लेना शुरू किया.
फिर यूरिया घोटाला
केंद्र सरकार ने यूरिया घोटाले को लेकर भी प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर आगाह किया. केंद्र सरकार ने यूरिया घोटाले में बड़े पैमाने पर कालाबाजारी की जानकारी भी राज्य सरकार को दी. प्रदेश में सहकारी समितियों ने किसानों को यूरिया देने के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा किया. इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार ने राज्य को दी
पोर्टल से MP के गांव गायब
केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के पोर्टल में मध्य प्रदेश के 6511 गांव के नाम दर्ज नहीं हैं. इस पर भी केंद्र ने हाल ही में प्रदेश के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर जानकारी दी.इसके बाद सीएजी की रिपोर्ट में भोपाल और इंदौर में दूषित पानी सप्लाई और लोगों के स्वाद के साथ खिलवाड़ करने की रिपोर्ट दी गई.
उप चुनाव में बनेगा मुद्दा
बहरहाल उपचुनाव से पहले केंद्रीय एजेंसियों की रिपोर्ट से शिवराज सरकार की गड़बड़ियों की पोल खुल रही है. हाल ही में एक दिन के सत्र में विधानसभा में शिवराज के कृषि मंत्री ने कर्जमाफी पर जो रिपोर्ट पेश की, उसके बाद तो खुद सरकार कटघरे में है. विपक्ष इन सब बातों को मुद्दा बना रहा है. ऐसे में उप चुनाव के ठीक पहले अफसरों के कामकाज में सरकार किस तरह से बदलाव लाती है, यह देखना दिलचस्प होगा.
Comments
Post a Comment