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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा, रिश्वत लेना ही नहीं, देना भी अपराध


जबलपुर - मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए सख्त लहजे में कहा कि सिर्फ रिश्वत लेना ही नहीं बल्कि रिश्वत देना भी अपराध है। यह सुनते ही याचिकाकर्ता के वकील की ओर से याचिका वापस लेने का निवेदन किया गया। कोर्ट ने निवेदन मंजूर करते हुए याचिका खारिज कर दी। मामला नौकरी लगवाने के लिए रिश्वत लिए-दिए जाने से संबंधित था। शुक्रवार को प्रशासनिक न्यायाधीश संजय यादव व जस्टिस बीके श्रीवास्तव की युगलपीठ के समक्ष मामला सुनवाई के लिए लगा। इस दौरान जैसे ही कोर्ट ने रिश्वत लेने ही नहीं देने को भी अपराध की कोटी में रखा, याचिकाकर्ता के वकील सकपका गए। कार्रवाई के भय से बिना देर किए याचिका वापस लेने का आग्रह कर लिया गया।


यह याचिका रीवा जिला अंतर्गत सगड़ा, पतुलखी निवासी रामलाल साहू की ओर से दायर की गई थी। जिसमें कहा गया था कि पतुलखी शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल में अध्यापक रामखिलावन पटेल ने याचिकाकर्ता को सरकारी नौकरी में लगवाने का लालच दिया। बदले में उससे रिश्वत मांगी गई। याचिकाकर्ता ने इसकी शिकायत लोकायुक्त की विशेष पुलिस स्थापना से कर दी। अधिवक्ता पी बालकृष्ण ने दलील दी कि लोकायुक्त पुलिस ने शिकायत पर आरोपित रामखिलावन पटेल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1) (डी), 13(2) के तहत 2015 में प्रकरण दर्ज कर लिया। लेकिन मामले में अब तक न तो जांच की गई और न ही आरोपित के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई। आग्रह किया गया कि जांच जल्द पूरी कर अंतिम जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया जाए। यह भी बताया जाए कि आरोपित के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई? सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि याचिका के अनुसार याचिकाकर्ता 5 हजार रुपए रिश्वत देने के लिए तैयार था। कोर्ट ने कहा कि इस दृष्टि से याचिकाकर्ता ने भी रिश्वत देने का अपराध किया। यह सुनकर दुविधाग्रस्त हुए याचिकाकर्ता के वकील ने फौरन याचिका वापस लेने का आग्रह कर दिया। कोर्ट ने आग्रह स्वीकार कर याचिका खारिज कर दी।


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