संसद में पारित फॉरेन कंट्रीब्यूशन (रेगुलेशन) बिल 2020 के कारण विदेशी मदद से संचालित एनजीओ के अस्तित्व पर संकट
सिविल सोसाइटी संगठन वानी ने इस संसोधन बिल का विरोध किया
भोपाल - केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में संसद में पारित फॉरेन कंट्रीब्यूशन (रेगुलेशन) बिल 2020 के कारण विदेशी मदद से संचालित गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो गया है। इस बिल के जरिए केंद्र सरकार ने एनजीओ के फॉरेन फंडिंग पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी हैं। इससे मप्र समेत देशभर में तमाम एनजीओ बंद होने की कगार पर आ जाएंगे और उनके साथ जुड़कर काम करने वाले लोग बेरोजगार हो सकते है। इसलिए सिविल सोसाइटी संगठन वालेंट्री एक्शन नेटवर्क (वानी) ने इस संसोधन बिल का विरोध किया है। वानी की ओर से बुधवार को ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपना बयान जारी किया। वानी के सीईओ हर्ष जेटली, पूनम गुट्टरेजा, इनग्रिड श्रीनाथ और हेमल कामत ने बताया कि वानी की ओर से राष्ट्रपति से मांग करेंगे कि इस बिल पर वे दस्तखत न करें। पूनम गुट्टरेजा ने बताया कि एनएसएसओ 2019 के मुताबिक भारत में 80 लाख लोग एनजीओ सेक्टर के साथ जुड़कर काम में लगे हैं। कामत ने बताया कि मप्र में 2000 छोटे-बड़े संगठन हैं, जो महिलाओं के साथ मिलकर काम करते हैं, इनमें 150 संगठन की मुखिया महिलाएं ही हैं।
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