जबलपुर (ब्यूरो) - नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने राज्य शासन की एथेनाल नीति के खिलाफ आपत्ति दर्ज करा दी है। इसके अलावा इसी सिलसिले में पहले से हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका भी विचाराधीन है। जिस पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद नोटिस जारी हो चुके हैं। मंच के प्रांतीय संयोजक मनीष शर्मा ने अवगत कराया कि मध्य प्रदेश सरकार की कैबिनेट द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि एथेनाल उत्पादन करने वाली कंपनियों को प्रतिवर्ष डेढ़ रुपये प्रति लीटर सात वर्षों तक वित्तीय सहायता दी जाएगी। यदि यह कंपनियां पेट्रोलियम उत्पाद कंपनियों को एथेनॉल सप्लाई करते हैं, इसके अतिरिक्त अन्य छूट भी प्रदान की जाएगी। इससे साफ है कि मध्य प्रदेश सरकार आम जनता को लूटकर एथेनाल उत्पादन करने वाली कंपनियों को लाभ पहुंचाने की कोशिश कर रही है।
इस संदर्भ में मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर आपत्ति दर्ज करा दी गई है। सरकार द्वारा पेट्रोलियम उत्पादों खासकर पेट्रोल तथा डीजल में वर्तमान समय में दस फीसद एथेनाल मिलाकर बेचा जा रहा है। गौरतलब है कि एथेनाल की कीमत पेट्रोल-डीजल की तुलना में आधी होती है, परंतु इसे मिलाने के बाद पेट्रोल-डीजल के रेट पर ही बेचा जा रहा है। इस पर जीएसटी लगाने के साथ-साथ वेट भी लगाया जा रहा है। मनीष शर्मा ने बताया कि एथेनाल की वर्तमान कीमत बाजार में 60 रुपये प्रति लीटर है जबकि इसे पेट्रोल-डीजल में मिलाने के बाद महंगे भाव से बेचा जा रहा है। फलस्वरूप जनता को पेट्रोल डीजल के रेट में छह से सात रुपये प्रति लीटर ज्यादा भुगतान करना पड़ रहा है।
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