भोपाल (स्टेट ब्यूरो) - पेट्रोल-डीजल और खाद्य तेलों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि के बाद अब महंगाई की एक और मार पड़ने वाली है. 1 अप्रैल से सामान्य सर्दी, जुखाम, बुखार जैसी बीमारियों की दवाइयां महंगी होने जा रही हैं. इन दवाओं के रेट करीब 11 फीसदी तक बढ़ने वाले हैं, जो आने वाले दिनों में लोगों की मुसीबत और बढ़ाएंगे. महंगाई के बोझ तले दबी जनता को महंगाई का एक और झटका लगने वाला है. एक अप्रैल से सामान्य सर्दी, बुखार, बीपी, शुगर, टीबी और माइग्रेन समेत 376 बीमारियों की दवाएं महंगी होने जा रही हैं. जीवन में सबसे महत्वपूर्ण मानी जाने वाली जीवन रक्षक दवाओं की कीमतें बढ़ने से लोगों की मुसीबतें बढ़ जाएंगी. कच्चे माल की कीमत में बढ़ोतरी और नए बजट के प्रावधानों के कारण दवाओं के रेट बढ़ रहे हैं.
11 फीसदी तक बढ़ेंगे रेट
दवाओं के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराने वाले बेसिक ड्रग डीलर एसोसिएशन के महासचिव जेपी मूलचंदानी का कहना है कच्चे माल की कीमतों में 15 से 150 फ़ीसदी तक वृद्धि हो चुकी है. दवाओं की पैकिंग में लगने वाले मटेरियल के रेट में दोगुने से ज्यादा का इजाफा हो गया है. ऐसे में दवाओं की कीमतें बढ़ाना मजबूरी हो गई है. इसलिए दवाओं के दाम में 10.76 फीसदी तक की वृद्धि की जा रही है.
जरूरी दवाइयां भी महंगी होंगी
दवा बाजार के विशेषज्ञों का कहना है पिछले तीन साल से दवाइयों के दाम नहीं बढ़े हैं. महंगाई लगातार बढ़ रही है. उत्पादन लागत बढ़ने से दवाओं की कीमतें बढ़ रही हैं. लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि इनमें पैरासिटामोल, एजिथ्रोमाइसिन, सिप्रोफ्लोक्सिन, हाइड्रोक्लोराइड, मेट्रोनिडाजोल के अलावा विटामिन, मिनरल्स और खून बढ़ाने वालीं दवाओं के रेट बढ़ रहे हैं. इनकी कोविड के बाद सबसे ज्यादा आवश्यक्ता लोगों को महसूस हो रही है. शुगर बीपी की दवाओं के रेट बढ़ने से भी लोगों का मंथली बजट बिगड़ेगा.
राष्ट्रीय औसत मूल्य निर्धारण अधिकरण ने दवाओं की कीमतें बढ़ाने की इजाजत दे दी है. नई दरें 1 अप्रैल से लागू हो जाएंगी. अब तक मरीजों के लिए उपयोगी ये दवाएं राष्ट्रीय आवश्यक औषधि सूची यानि एनएलईएम में रखी जाती थीं ताकि इनके दाम न बढ़ें. लेकिन अब सामान्य दवाओं के रेट बढ़ाने के फैसले से लोग भी परेशान हैं.
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