भोपाल (स्टेट ब्यूरो) - मप्र सूचना आयोग ने एक महिला अधिकारी को लगातार 38 बार जानकारी देने के लिए समन जारी किए. अधिकारी ने आयोग को ठेंगा दिखाते हुए व्हाट्सएप पर लिखा कि मुझे परेशान न किया जाए. इससे खफा होकर राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने महिला अधिकारी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. पिछले चार महिनों में रीवा के रायपुर कर्चुलियान जनपद पंचायत और रीवा जनपद पंचायत की ब्लॉक पंचायत ऑफिसर सुरभि दुबे को सुचना के अधिकार के 6 अपील प्रकरणो में सुनवाई के कुल 38 समन सूचना आयोग के समक्ष पेश करने के लिए जारी किए गए थे. लेकिन दुबे किसी भी समन में आयोग के समक्ष हाजिर नहीं हुई और ना ही उन्होंने आयोग के आदेश के अनुसार कोई जानकारी आरटीआई आवेदक को उपलब्ध कराई. लिहाजा, आयोग ने 5000 की जमानत की रकम तय करते हुए गिरफ्तारी वारंट जारी कर पुलिस को दुबे को 21 अप्रैल को आयोग में उपस्थित करवाने के आदेश जारी किए हैं. मप्र सूचना आयोग के इतिहास मे ऐसा दूसरा मामला है. सूचना आयोग ने इससे पहले, बुरहानपुर के पूर्व सीएमएचओ के खिलाफ जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी कर उन्हें आयोग के समक्ष पेश कराया गया था.
आयोग में आने से मना किया तो पुलिस भेजेगी जेल
स्थानीय पुलिस राज्य सूचना आयोग के वारंट की तामिली करा कर संबंधित अधिकारी को थाने बुलाकर₹5000 के मुचलके पर इस शर्त पर छोड़ेगी की संबंधित अधिकारी राज्य सूचना आयोग के समक्ष सुनवाई में उपस्थित होंगे. यदि संबंधित अधिकारी यह अंडरटेकिंग देने से मना कर देते हैं कि वह उपस्थित नहीं होंगे या जमानत नहीं लेते हैं तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज देगी.
जुर्माने का नोटिस भी बेअसर
आयुक्त सिंह द्वारा 6 अपील प्रकरण में श्रीमती दुबे को कुल 125000 के जुर्माने का कारण बताओ नोटिस भी जारी किया पर इसके बावजूद दुबे आयोग के समक्ष हाजिर नहीं हुई ना ही तथ्यों सहित कोई जवाब आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया. इन 6 अपील प्रकरणों में अलग-अलग आवेदकों ने ग्राम पंचायत के संबंध में बजट, निर्माण कार्य से संबंधित जानकारियां मांगी थी. वहीं, राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अपने आदेश में कहा कि बहुत ही निराशाजनक एवं दुखदाई है कि अधिकारी जिनका कर्तव्य है कि आरटीआई एक्ट के तहत जनता के प्रति जवाबदेह बने वे खुलेआम आरटीआई एक्ट की पूरी कार्यप्रणाली की धज्जियां उड़ा रहे हैं और वो भी तब जब ये आरटीआई एक्ट संविधान के अनुच्छेद 19 (1) मे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार का हिस्सा है.
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