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प्रदेश के 22 स्थानीय निकायों में नियम विरुद्ध नियुक्तियां, 8वीं से 12वीं पास सीएमओ संभाल रहे 16 निकाय



राजगढ़ (ब्यूरो) - नगरीय प्रशासन विभाग में नियमों को ताक पर रखकर सीएमओ की नियुक्तियां कर दी गई हैं। इस दौरान शैक्षणिक योग्यता और अनुभव दोनों का ही ध्यान नहीं रखा गया है। प्रदेश के 397 नगरीय निकायों में से 22 में जो सीएमओ नियुक्त किए गए हैं, उनमें से 16 आठवीं से 12वीं पास ही हैं, जबकि 5 साल से कम अनुभव वाले 6 हैंं। नियम के मुताबिक एमपीपीएससी क्वालिफाई या 5 साल से ज्यादा अनुभव वाले राजस्व निरीक्षक को ही यह पद मिलना चाहिए। उन्हें भी ग्रेजुएट होना अनिवार्य है। योग्यताहीन यह प्रभारी सीएमओ उच्च शिक्षित व तकनीकी योग्यता रखने वाले लोगों से काम भी ले रहे हैं। लिपिक वर्ग संगठन ने इसकी शिकायत नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह से भी की। इसमें कहा गया है कि ग श्रेणी की नगर परिषद में सीएमओ बनने के लिए स्नातक होने के साथ ही 5 वर्षों तक आरआई (राजस्व निरीक्षक) या एआरआई (उप राजस्व निरीक्षक) के पद पर सेवाएं देने का अनुभव होना चाहिए, लेकिन सच्चाई यह है कि नियमों को ताक पर रखकर बनाए गए इन सीएमओ में से कोई 8वीं पास है तो कुछ 10वीं, 11वीं और 12वीं पास हैं।

नियमों काे ताक पर रखकर की नियुक्तियां

पहले लिपिक वर्ग को पदोन्नत कर सीएमओ बनाया जाता था, लेकिन 2015 में शासन ने इस नियम को पलट दिया और राजस्व निरीक्षक व उप निरीक्षकों को सीएमओ बनाने की कैटेगरी में लाकर खड़ा कर दिया, जबकि राजस्व निरीक्षक के भर्ती नियम में शैक्षणिक योग्यता आठवीं पास है, जिनका काम राजस्व वसूली करना होता है। ऐसे में इन्हें कम अनुभव होने के बाद भी मुख्य पद पर बैठा दिया। बीएल पुरवीया को नप सिराली, दिनेश कुमार सोनी को नप आरोन और मुनींद्र कुमार मिश्रा को पांच साल के बिना अनुभव डोला में सीएमओ बनाया है। इसी तरह वरिष्ठता सूची को ध्यान में रखे बिना नर्मदा प्रसाद पांडे को पीपलरवा, राकेश मिश्रा को सिवनी मालवा का सीएमओ बनाया है। रामानुज मिश्रा को सबइंजीनियर होने के बाद भी शाहगंज में सीएमओ पद का प्रभार दे दिया गया।

हमारे यहां एक कैडर बना हुआ है, उसी के आधार पर खाली पदों पर सीएमओ का प्रभार दिया जाता है, अब उनकी योग्यता क्या है, यह अलग बात है।'

-भरत यादव, कमिश्नर, नगरीय प्रशासन विभाग, भोपाल

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