खरगोन (ब्यूरो) - जिले के 325 से अधिक छात्र – छात्रा मौत के साये में शिक्षा लेने को मजबूर है. यह पूरा मामल महात्मा गांधी शासकीय बालक उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय, मंडलेश्वर का है. लगभग 200 वर्ष पुराने भवन में यह स्कूल संचालित हो रहा है. भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है. बारिश में बिल्डिंग के हर कमरे में पानी टपकता है. कई वर्ष पूर्व छतिग्रस्त होने से बिल्डिंग का ऊपरी हिस्सा भी आवाजाही के लिए बंद कर दिया है. बताया जाता है की जिस बिल्डिंग में स्कूल चल रहा है वह ब्रिटिश गवर्मेंट में बना था. आजादी के बाद यहां स्कूल शुरू की गई थी. कुछ वर्ष यहां कॉलेज भी लगा. ग्राउंड फ्लोर पर स्कूल लगती थी. लेकिन अब यह बिल्डिंग पूरी तरह जर्जर हो चुका है. वर्ष 2012 में लोक निर्माण विभाग द्वारा इस भवन जर्जर घोषित कर डिशमेंटल करने के लिए कहा गया है लेकिन नवीन भवन नहीं होने के अभाव में आज भी स्कूल यहीं लग रहा है. प्रिंसिपल सोनी के मुताबिक अभी स्कूल में करीब 325 विद्यार्थी है. एडमिशन अभी भी चालू है. इसके अलावा यहां 25 शिक्षक और 10 अन्य कर्मचारी है. जो हमेशा डर के साएं में रहते है. प्रिंसिपल बताते है कि यह भवन लगभग 200 वर्ष पुराना है जो लकड़ी से बना है. जिसे दीमक ने अंदर से खोखला कर दिया है. दिवारे मोटी होने से भवन अबतक टीका हुआ है. वरना कब का गिर चुका होता.
1956 में रेजिडेंट हाउस स्कूल को मिला था
इतिहास के जानकर दुर्गेश राजदीप बताते है की ब्रिटिश गवर्मेंट द्वारा होलकर स्टेट के राजा पर नजर रखने के लिए यहां रेजिडेंट हाउस बनाया था. जो अब महात्मा गांधी शासकीय बालक उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय के नाम से जाना जाता है. आजादी के बाद सन 1956 में मध्य भारत से मध्यप्रदेश बना तब यह रेजिडेंट हाउस स्कूल विभाग को दिया गया था. दुर्गेश राजदीप बताते है की यह स्कूल सबसे पुराने स्कूलों में शामिल है. 1982 में यहां डिग्री कॉलेज भी लगा. भोज मुक्त विश्वविद्यालय का भी यहां सेंटर रहा है. भवन काफी पुराना और ऐतिहासिक है, इसे डिशमेंटल नहीं किया जाना चाहिए. शासन द्वारा पुरातत्व विभाग को सौंपकर इसका संरक्षण किया जाना चाहिएं. विद्यार्थियों और स्टॉफ की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्कूल के लिए जल्द नवीन भवन की व्यवस्था की जानी चाहिए.
प्रशासन को कई बार दे चुके है लिखित में शिकायत- प्रिंसिपल
स्कूल प्रिंसिपल जेके सोनी बताते है की आजादी के समय खरगोन जिले का एकमात्र मिडिल स्कूल मंडलेश्वर में था. जो बाद में हाई स्कूल में तब्दील हो गया. करीब 67 वर्षो से स्कूल इसी भवन में लग रहा है. कई वर्षो तक यहां कॉलेज भी लगा. लेकिन अब यह भवन जर्जर हो चुका है. हमेशा किसी बड़े हादसे की संभावना बनी रहती है. कई बार शासन को पत्र लिखकर यहां की यथास्थिति से अवगत कराया गया है. नवीन भवन की मांग जा रही है. जनप्रतिनिधियों को भी जानकारी दी गई लेकिन नतीजा शून्य है.
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