लड़का-लड़की अगर सिकलसेल के संवाहक हैं तो उनकी शादी मत करो, चाहे कितने ही पैसे वाले हों - राज्यपाल श्री पटेल
खरगोन (निप्र) - जिला मुख्यालय पर स्टेडियम ग्राउंड पर सिकलसेल एनीमिया जांच, टीबी जांच और रक्त दान शिविर आयोजित किया गया. हजारों लोगों को संबोधित करते हुए महामहिम राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने कहा कि सिकलसेल एक अनुवांशिक बीमारी है और आदिवासी समाज में बहुतायात में पायी जाती है. इस बीमारी से बचने के लिए समय पर इसकी पहचान जरूरी होती है. उन्होंने कहा कि युवा शादी करने के पहले देख लें कि दोनों सिकलसेल से पीड़ित तो नहीं है. यदि लड़का और लड़की दोनों को सिकलसेल की बीमारी है तो उन्हें आपस में शादी नहीं करना चाहिए. ऐसे जोड़े के विवाह करने से पैदा होने वाले बच्चें भी सिकलसेल से ग्रसित होते हैं. सरकार ने वर्ष 2047 तक सिकलसेल निर्मूलन का लक्ष्य रखा है. उन्होंने सिकलसेल के मरीजों से कहा कि ज्यादा तैलीय पदार्थ न खाएं और बाहर का भोजन न खाएं, बल्कि घर पर ही मोटे अनाज को अपने भोजन में शामिल करें. भारत सरकार ने मिलेट (मोटा अनाज) के लिए 15 हजार करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया है. कार्यक्रम में सांसद गजेन्द्र सिंह पटेल द्वारा राज्यपाल को पारंपरिक जैकेट पहनाकर वीरता का प्रतिक धनुष बाण स्मृति चिन्ह के रूप में भेंट किया गया. कार्यक्रम में मौजूद अरविंदो हॉस्पीटल इंदौर के चैयरमेन डॉ. विनोद भंडारी ने बताया शिविर में उनके संस्था के चिकित्सकों द्वारा सिकलसेल, थायराईड, एनीमिया के साथ ही कैंसर जांच की भी व्यवस्था की गई है. उनकी संस्था ने बच्चों में सिकलसेल एनीमिया की पहचान के लिए कोमल स्पर्श नाम से एक अभियान भी प्रारंभ किया गया है. उनके संस्थान की ओर से घर-घर जाकर कैंसर जांच का अभियान भी चलाया जा रहा है.
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