इंदौर (ब्यूरो) - पिछले वर्षों में इंदौर शहर में भूजल के स्तर के भले ही सुधार हुआ है, लेकिन देपालपुर व सांवेर जैसे इलाकों में कृषि कार्य के लिए अत्यधिक भूजल दोहन हो रहा है। दिसंबर 2023 में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट में इंदौर जिले में 119.3 प्रतिशत भूजल दोहन का आकलन किया गया है। यानि प्राकृतिक रूप से जितना जल पुर्नभरण हो रहा है, उसके मुकाबले हम 19.3 प्रतिशत अधिक भूजल उपयोग कर रहे हैं। इसी कारण जिला प्रशासन ने अब इंदौर जिले को जल अभाव क्षेत्र घोषित कर नए नलकूप खनन पर रोक लगा दी है। कलेक्टर आशीष सिंह ने इस संबंध में निर्देश भी जारी कर दिए हैं। कलेक्टर ने मध्य प्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 तथा संशोधन अधिनियम 2002 (अधिनियम) में विहित प्रविधानों के अनुरूप जिले के शहरी एवं ग्रामीण संपूर्ण क्षेत्र को जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित किया है। जिले में अशासकीय व निजी नलकूप खनन करने पर 18 मार्च से 30 जून 2024 तक प्रतिबंध लगाया गया है। अवैध रूप से नलकूप खनन करने वालों पर संबंधित राजस्व, पुलिस एवं नगर निगम के अधिकारी संबंधित पुलिस थाना क्षेत्र में एफआइआर दर्ज करवा सकेंगे। साथ ही मशीनों को जब्त करेंगे। अपर कलेक्टर अपने क्षेत्र के अंतर्गत अपरिहार्य प्रकरणों के लिए व अन्य प्रयोजनों हेतु उचित जांच के पश्चात अनुमति दे सकेंगे। इस तरह के प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर दो हजार रुपये के जुर्माने तथा दो वर्ष तक के कारावास या दोनों से दंडित करने का प्रविधान है।
शासकीय योजनाओं के अन्तर्गत किए जाने वाले नलकूप खनन पर यह आदेश लागू नहीं होगा। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा कार्य योजनांतर्गत नलकूप खनन का कार्य लोकसभा निर्वाचन 2024 की लागू आचार संहिता का पालन करने की शर्त पर कार्य कराया जा सकेगा। जल प्रबंधन विशेषज्ञ सुरेश एमजी के अनुसार हमने एक माह पहले पहले रिंग रोड स्थित पुलिस ट्रेनिंग सेंटर व होलकर कालेज में रेजिस्टिविटी जियोलाजिक सर्वे किया था। इन दोनों पर जब एक माह बाद पुन: सर्वे किया तो भी पता चला कि भूजल 80 से 100 फीट नीचे पहुंच गया है। जिन इलाकों में भूजल पुर्नभरण पर कार्य हुआ है, वहां भूजल स्तर की स्थिति ठीक है।
इंदौर नगरीय क्षेत्र में भूजल की स्थिति सुधरी है और शहरी क्षेत्र में भूजल निर्भरता कम हुई है। पिछले वर्षों में शहर में नर्मदा पेयजल लाइन का क्षेत्र बढ़ा है, वहीं कई इलाकों में भूजल पुनर्भरण भी हुआ। सांवेर व देपालपुर क्षेत्र में गेहूं की उपज ज्यादा होने के कारण कृषक सिंचाई के लिए भूजल का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में कृषि को जागरूक कर उन्हें स्प्रिंकलर या ड्रिप इरिगेशन के लिए प्रेरित करने की जरूरत है। उन्हें इस तरह के संसाधन उपलब्ध करवाए जाएं। इसके अलावा कम जल उपयोग कर ज्यादा फसल उपजाने का अभियान भी इन क्षेत्रों में लागू होना चाहिए। -सुधीन्द्र मोहन शर्मा, भूजल प्रबंधन विशेषज्ञ
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