19 साल बाद फिर दौड़ेंगी सरकारी बसें: मुख्य सचिव ने मांगा प्रस्ताव, परिवहन मंत्री बोले- ग्रामीण इलाकों से होगी शुरुआत
भोपाल (ब्यूरो) - मध्य प्रदेश की सड़कों पर 19 साल बाद फिर से सरकारी बसें दौड़ सकती हैं। इसके लिए मुख्य सचिव कार्यालय ने परिवहन निगम शुरू करने के लिए परिवहन विभाग को प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए हैं। ये प्रस्ताव इसी महीने तैयार कर कैबिनेट में रखा जाएगा। इस प्रस्ताव में बताना होगा कि ये सरकारी बसें कैसे चलेंगी, किन रूटों पर दौड़ेंगी, कौन चलाएगा, इसका सिस्टम क्या होगा। आपको बता दें कि साल 2005 में राज्य परिवहन निगम बंद किया गया था। अब परिवहन निगम को फिर से शुरू करने की कवायद पिछले 5 महीनों से चल रही है। बसों की शुरुआत प्रदेश के ग्रामीण इलाकों से हो सकती है। बता दें कि प्राइवेट ऑपरेटर्स का काम होता है मुनाफा कमाना। ये ऑपरेटर्स वहीं रन करते हैं, जहां इन्हें फायदा मिलता है। फिलहाल प्राइवेट बस ऑपरेटर्स ने राजधानी भोपाल से कनेक्टेड महानगर जैसे उज्जैन, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और ऐसे रास्ते जहां हैवी और अच्छा ट्रैफिक है, वहां बसें चला रखी हैं। लेकिन मध्य प्रदेश के दूर-दराज के ऐसे कई ग्रामीण इलाके हैं, जहां आज भी गांव के लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं। परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि अभी सिर्फ मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में राज्य सड़क परिवहन निगम की सेवाएं शुरू करने पर विचार किया जा रहा है। इसका मसौदा तैयार किया जा रहा है। अगर सारी चीजें सही पाई गईं, तो चंद महीनों के अंदर ग्रामीण इलाकों में बसें चलाई जाएंगी।
बता दें कि इसे लेकर परिवहन विभाग अब सर्वे रिपोर्ट में शामिल बिंदुओं को आधार बनाकर रिपोर्ट तैयार करेगा, जिसके मुताबिक, सरकार महाराष्ट्र मॉडल को अपना सकती है। सरकार ने 19 साल पहले साल 2005 में परिवहन बंद कर दिया था, लेकिन तकनीकी रूप से इस बंद करने का गजट नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ था। मध्य प्रेदश में फिलहाल इसके करीब 167 कर्मचारी भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर जैसे महानगरों में काम रहे हैं। इनमें से करीब 140 कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर दूसरे डिपार्टमेंट में काम कर रहे हैं। बता दें कि मध्य प्रदेश के उन रूटों पर बसें चलाई जाएंगी, जहां प्राइवेट बसें नहीं है। इसकी शुरुआ इंटर डिस्ट्रिक्ट से होगी। इसके बाद फिर पड़ोसी राज्य तक सेवा पर विचार किया जाएगा। ये बसें अत्याधुनिक होंगी। ईवी पर भी बात की गई है। PPP मॉडल या सरकारी नियंत्रण में चलाने को लेकर उच्च स्तर पर निर्णय लिया जाएगा। सभी बस स्टैंड्स को पीपीपी मॉडल पर बनाने पर सहमति बनेगी। जिस कंपनी को बस स्टैंड दिया जाएगा, वो उसके कुछ हिस्से को कमर्शियल का उपयोग कर सकती है।
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