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मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग : 4 हजार से अधिक शिकायतें पेंडिंग, सुनने वाले प्रेसिडेंट ही नहीं

 आयोग में 21 महीने से अध्यक्ष का पद ही पड़ा है खाली



भोपाल (ब्यूरो) - जनता के अधिकारों की बात करने वाला मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग 21 महीने से अपने अध्यक्ष की बाट जोह रहा है। आयोग में नियमित अध्यक्ष न होने के कारण यहां का कामकाज एक प्रकार से ठप पड़ गया है। आयोग में जहां शिकायतों की ठीक से सुनवाई नहीं हो पा रही है। वहीं सरकार के पास भेजी गई अनुशंसाएं भी लंबित पड़ी हुई हैं। स्थिति यह हो गई है कि आयोग में 4000 से अधिक शिकायतें पेंडिंग पड़ी हैं। राज्य मानव अधिकार आयोग का अध्यक्ष पद 21 महीने से खाली पड़ा है। यहां पर एक सदस्य को ही कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर काम चलाया जा रहा है। लेकिन यहां पहुंचने वाले मामलों की संख्या के आधार पर इतनी शिकायतों का निराकरण करना उनके बस में नहीं है। मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग में 4 706 शिकायतें पेंडिंग पड़ी हैं। वहीं, आयोग द्वारा भेजी गई 260 सिफारिश सरकार के पास लंबित पड़ी हुई हैं, जिनमें से कुछ पुरानी है। सूत्रों के अनुसार मानव अधिकार आयोग हर साल करीब 11000 मामलों पर स्वतः संज्ञान लेता है। इसलिए यहां देखें तो वर्ष 2023-24 में आयोग के पास 4706 शिकायत लंबित पड़ी थी। वर्ष 2022-23 की स्थिति देखें तो आयोग के पास 3196 शिकायत लंबित थी। जबकि 2021-22 में 2490 शिकायतें पेंडिंग पड़ी थी। वहीं, मानव अधिकार आयोग द्वारा सरकार को भेजी गई 260 अनुशंसाएं अभी भी लंबित हैं।

कार्यवाहक अध्यक्ष पर बढ़ा भार 

इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आयोग में नियमित अध्यक्ष के न होने के चलते क्या दुर्गति हो गई है। गौरतलब है कि मानव अधिकार आयोग राज्य में होने वाले तमाम मानव अधिकार के उल्लंघन के मामलों पर सुध लेता है। इन मामलों में अंतरिम राहत प्रदान करना मुआवजा या हर्जाना देने की अनुशंसा या सिफारिश करना शामिल होता है। वर्तमान में मानव अधिकार आयोग में एक सदस्य मनोहर ममतानी हैं जो कार्यवाहक अध्यक्ष बनकर कामकाज निपटा रहे हैं।

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